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मिशन के बारे में

गोरखपुर शहर का स्वरूप बदलता देखकर हर गोरखपुरवासी को सुखद अनुभूति होती। किंतु इसके विपरीत हर रोज कानों में गूंजती एम्बुलेंस की सायरन एक अजीब सी हलचल पैदा कर देती। हां सही सोचा आपने सड़क दुर्घटना। जो इतनी भयावह होती कि थोड़ी देर के लिए उनके सगे संबंधी बिलकुल चेतना शून्य हो जाते।

इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए कोड्स-जेस्चर नें डिजिटल रक्तदाता के नाम से ऐसा निःशुल्क पोर्टल बनाया है, जहां रक्तदाता अपने आपको नाम, नंबर, ब्लडग्रुप और पता भरकर आसानी से रजिस्टर करेगा।

जिससे अगर किसी को तत्काल खून की जरूरत हो तो वह अपने निकटतम स्थान को मद्देनजर रखते हुए समान ब्लड ग्रुप का रक्तदाता आसानी से ढूंढ सके। डिजिटल रक्तदाता के माध्यम से रक्तदाता और रक्तपाने वाला आसानी से एक दूसरे के संपर्क में आ जाएंगे। इस छोटी सी मुहिम से न जाने कितनों की ज़िंदगी बच जाएगी।

क्या होती असली समस्या

अब एक्सीडेंट के बाद परिजन के पास एक विकट समस्या होती। वो है रक्तदाता की। मरीज से परिजन अपने हित, मित्र सगे संबंधियों के संपर्क में रहते। परंतु दुर्भाग्यवश मरीज से मेल खाता हुआ रक्त न मिल पाने से स्थिति काफी जटिल हो जाती। जिसके परिणाम स्वरूप ज्यादातर मरीजों की सांसें थम जाती।

आखिर कहाँ से मिली प्रेरणा

मुहिम के संचालक व पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राहुल मिश्रा नें बताया कि “स्वयं के साथ साथ एक रक्तदाता की पूरी फौज होते हुए। कभी कभी जब अखबारों में किसी के दुर्घटना से मृत्यु की खबर सुनते हैं तो बड़ा कष्ट होता कि ऐसा कोई रास्ता निकाला जाए जिससे रक्तदाता और रक्तपाने वाला एक दूसरे से बेहद आसानी से ढूंढकर खोज सके। इसी उधेड़बुन में उन्होने अपने साथ डिज़ाइनर छोटे भाई विशाल मिश्रा, दोस्त सिद्धार्थ त्रिपाठी और बहुत से युवाओं को लेकर एक टीम का गठन किया। बस नतीजा आपके सामने डिजिटल रक्तदाता के रूप में है।

जन जागरूकता का अभाव

लोग रक्तदाता बनने से इसलिए भी कतराते क्यूंकी उनके जेहन में ढेरों आशंकाए है। जैसे रक्तदान करने से खून की कमी आ जाती, रक्तदान करने से कमजोरी होती। कुछ तो यहाँ तक कहते हैं कि उनके धर्म नें उन्हे आज्ञा नहीं दी रक्तदान करने की। बल्कि 18 साल से ऊपर जिन्होने पिछले तीन महीनो में खून नहीं दिया वह 60 साल की उम्र तक कभी भी आसानी से रक्तदान कर सकते। उन्हे जागरूक करके हम कितने लोगों को ज़िंदगी और ढेरों घरों में खुशियाँ लौटा सकते।

डिजिटल रक्तदाता पोर्टल निभाएगा अपना रोल

रक्त किसी कारखाने में बनाया नहीं जा सकता। रक्त आएगा तो दान से ही आएगा। सिर्फ गोरखपुर शहर में की हजारों की तादाद में रक्तदान करने वाले युवा हैं। बस ये पोर्टल उन्हे सही दिशा दिखाकर जरूरतमन्द से मिलने में उनकी मदद करेगा। इस पोर्टल पर नित बढ़ते हुए रक्तदान के स्वयंसेवक रजिस्टर होने से ये दिन प्रतिदिन और प्रभावशाली ढंग से कार्य करेगा। अभी पोर्टल पर 100 रक्तदाता रजिस्टर्ड हैं जो कुछ महीने में बढ़कर 10000 रक्तदाता का लक्ष्य है।

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